कैसे कैसे मंज़र मेरी आँखों में आ जाते हैं यादों के सब ख़ंजर मेरी आँखों में आ जाते हैं मेरी प्यासी आँखें फिर भी रह जाती हैं प्यासी हैं यूँ तो सात-समुंदर मेरी आँखों में आ जाते हैं किस की याद का दरिया मेरे दिल से हो कर बहता है किस के दर्द पिघल कर मेरी आँखों में आ जाते हैं किस की याद की ख़ुश्बू से मैं दिन-भर महका रहता हूँ किस के ख़्वाब सँवर कर मेरी आँखों में आ जाते हैं जब भी सोचने लगता हूँ मैं तेरे मेरे बारे में आटा दलिया दफ़्तर मेरी आँखों में आ जाते हैं