क़ैस वो नातवान-ए-सहरा है कालबुद नीस्तान-ए-सहरा है आतिश-ए-इश्क़ से है सीना गर्म जलवा-ए-बर्क़ जान-ए-सहरा है तेरे दीवाना के लिए ज़ंजीर मौज-ए-रंग-ए-रवान-ए-सहरा है ग़म में किस शो'ला-रू के दूद-ए-आह आतिश-ए-दूदमान-ए-सहरा है है जो फ़रहाद दावती-ए-कोह क़ैस भी मेहमान-ए-सहरा है हैफ़ पैक अपना रह-ग़लत-कर्दा ताज़ा चश्म-ए-रवान-ए-सहरा है है हर इक हर्फ़ चश्म-ए-ग़ूल 'वक़ार' इस ग़ज़ल में बयान-ए-सहरा है