कैसी उलझन है सोचता क्या है साफ़ कह दे कि मुद्दआ' क्या है हसरतें यास ज़ख़्म महरूमी और इस दिल में अब बचा क्या है हर-घड़ी बे-कली-ओ-बे-ज़ारी ऐ मिरे दिल तुझे हुआ क्या है चाहती क्या है कुछ तो वाज़ेह हो ज़िंदगी तेरा मुद्दआ' क्या है दिल करूँ नज़्र या कि जान निसार बोल ऐ दोस्त चाहता क्या है क़त्ल-ओ-ख़ूँ रंजिशें फ़रेब दग़ा आह अब इस के मा-सिवा क्या है क्या बताएँगे अगली नस्ल को हम प्यार क्या चीज़ है वफ़ा क्या है वो तबाही पे मेरी हँस के 'सलीम' बस यही कह सके हुआ क्या है