कल हम से मुलाक़ात में वो यार जो की बहस मैं भी वहीं इक बात में बेज़ार हो की बहस लड़ते न किसी तरह से उस से कभी हरगिज़ पर क्या करूँ उस वक़्त मैं लाचार हो की बहस लाया था मिरे दिल की गिरफ़्तारी का सामान इस वास्ते मैं उस से ब-तकरार हो की बहस समझा के लगा कहने कि आ हम से तू मिल जा मैं तेरे लिए बर-सर-ए-बाज़ार हो की बहस 'मिस्कीन' न जो तू हम से अगर दिल से मिलेगा क्यूँ तू ने मिरा मिस्ल-ए-ख़रीदार हो की बहस