कल जो पीछे छूट गया By Ghazal << तेरी जुस्तुजू में जहाँ दे... हमेशा झूट जो कहता रहा सच्... >> कल जो पीछे छूट गया सपने मेरे लूट गया आँख से कोई आँसू टपका या कोई छाला फूट गया होंट तक अपने आते आते हाथ से पियाला छूट गया जिस से दिल की आस लगी थी वो तारा भी टूट गया चारागरी भी काम न आई ज़ख़्म पे नश्तर टूट गया Share on: