क़ल्ब-ए-अलम-नसीब की तिश्ना-लबी बुझाए जा ऐ मेरे साक़िया मुझे शाम-ओ-सहर पिलाए जा ऐ दिल-ए-बे-क़रार सुन रोने से फ़ाएदा है क्या जिस ने भुला दिया तुझे तू भी उसे भुलाए जा बरसर-ए-बाम आ के तू पर्दा-ए-रुख़ हटा ज़रा हम भी हैं साहिब-ए-नज़र हम को भी आज़माए जा ज़ौक़-ए-तुलू-ए-सुब्ह भी देगी ये तीरगी तुझे रात तवील है तो क्या दिल का दिया जलाए जा जान-ए-बहार-ए-गुलसिताँ ज़ोहरा-जमाल नाज़नीं 'नय्यर'-ए-ख़ुश-ख़याल के फ़िक्र-ओ-नज़र पे छाए जा