कलिमा-ए-बे-ख़ुदी के मुजरिम हैं आप से दोस्ती के मुजरिम हैं आओ ग़म का तवाफ़ करते हैं हम फ़क़त इक ख़ुशी के मुजरिम हैं हम चढ़ाते हैं सूलियाँ जिन को क़ौम की रहबरी के मुजरिम हैं वक़्त मुंसिफ़ है ख़ुद सज़ा देगा हम अगर शाइरी के मुजरिम हैं ऐ मोहब्बत अगर ख़ुदा है तू हम तिरी बंदगी के मुजरिम हैं