कलियों की चटक गुल की हँसी और ज़ियादा आए तेरे हिस्से में ख़ुशी और ज़ियादा आ जाए इन आँखों में नमी और ज़ियादा हो जाए मिरे दिल की लगी और ज़ियादा कुछ दिल की तड़प बढ़ गई मंज़िल पे पहुँच कर कुछ रूह भी बेताब हुई और ज़ियादा साक़ी ने जो मख़मूर निगाहों से नवाज़ा सहबा मिरे साग़र में ढली और ज़ियादा फिर जाग उठी है मिरे एहसास की दुनिया फिर ग़म की हवा चलने लगी और ज़ियादा पलकों पे शब-ए-ग़म जो मचलने लगे आँसू जज़्बात की तफ़्सीर हुई और ज़ियादा महके जो तमन्नाओं के गुल बज़्म-ए-वफ़ा में ख़ुशबू-ए-वफ़ा फैल गई और ज़ियादा ईसार-ओ-मोहब्बत के निशानात जो उभरे किरदार की ता'मीर हुई और ज़ियादा इस दौर के इंसान में इख़लास-ओ-वफ़ा की होने लगी महसूस कमी और ज़ियादा छा जाएगा अरमानों की दुनिया में अंधेरा ख़्वाबों की अगर शम्अ जली और ज़ियादा ऐ साक़ी-ए-महफ़िल तिरे पैग़ाम-ए-नज़र से हो सिलसिला-ए-बादा-कशी और ज़ियादा बेहतर है कि मिल जाए किसी पेड़ का साया क्या होगा अगर धूप पड़ी और ज़ियादा जब दिल को 'निगार' उन के तसव्वुर ने पुकारा राहत की किरन मुझ को मिली और ज़ियादा