काम कुछ तो मिरा लहू आया बाग़ में मौसम-ए-नुमू आया हिज्र में तेरे मुझ पे क्या गुज़री आज तक पूछने न तू आया जिस तरह मैं ने तुझ को याद किया याद यूँ कब किसी को तू आया तेरा कूचा है या कोई मक़्तल जो भी आया लहू लहू आया मैं उसी की तरह मिला उस से आइना बन के रू-ब-रू आया ख़त्म दौर-ए-ख़याल-ओ-ख़्वाब हुआ लम्हा-ए-तर्क-ए-आरज़ू आया रास्ते देर तक रहे रौशन दूर तक मेरे साथ तू आया याद आई किसी की फिर 'ख़ावर' दिल से आँखों में फिर लहू आया