कम से कम आरज़ी नहीं होगी मौत इतनी बुरी नहीं होगी इतनी छोटी है काएनात मुझे खुल के आवारगी नहीं होगी दीन में जब्र को रवा रखना मज़हबी ख़ुद-कुशी नहीं होगी सब पे तन्क़ीस कर रहा है वो उस से अब शाइ'री नहीं होगी हिफ़्ज़ कर लूँगा मैं बदन उस का जेब में डायरी नहीं होगी सब तमन्नाएँ पूरी करनी हैं तू बता कौन सी नहीं होगी सब को सब कुछ मिलेगा जन्नत में बस वहाँ ज़िंदगी नहीं होगी अब जो चमकेगी देख कर उस को भूक वो जिस्म की नहीं होगी वक़्त मुट्ठी में होगा तब तिरे पास हाथ पर जब घड़ी नहीं होगी कह दिया नाँ वो मेरा माज़ी था इस पे अब बात भी नहीं होगी झील की दास्तान ख़त्म हुई चाँद होगा परी नहीं होगी