दिन हो कि हो वो रात अभी कल की बात है होती थी उन से बात अभी कल की बात है झपकी इधर पलक वो उधर हो गए हवा जो थे हमारे साथ अभी कल की बात है थे इक़्तिदार में तो ज़माना था अपने गिर्द लोगों की थी बरात अभी कल की बात है फिर आ गए बिसात पे मोहरे पिटे हुए खाई थी हम से मात अभी कल की बात है वो गुल था डाल डाल तो गुलशन में जूँ सबा हम भी थे पात पात अभी कल की बात है जो शख़्स आज संग-ए-मलामत का है हदफ़ थी मोहतरम वो ज़ात अभी कल की बात है 'ख़ुसरव' थे उस के हल्क़ा-बगोशों में आप भी हाथों में डाले हाथ अभी कल की बात है