कमाँ से तीर चला और सबा ने चुपके से By Ghazal << रविश उस चाल में तलवार की ... इस सदी में तो सदाक़त पर स... >> कमाँ से तीर चला और सबा ने चुपके से हिला कि हाथ परिंदे को होशियार किया हमीं ने सेहन-ए-चमन में उड़ाई ख़ाक-ए-वफ़ा हमीं ने दश्त में फूलों का कारोबार किया हम इंतिज़ाम-ए-बहाराँ में ग़र्क़ थे उस दम जब उस ने हीला-ए-अस्बाब-ए-इंतिशार किया Share on: