कान में नाला-ए-हज़ार आया मुज़्दा-ए-मौसम-ए-बहार आया क्या ख़याल-ए-शराब-ख़्वार आया बर्क़ सा अब्र बे-क़रार आया बाग़-ए-आलम में था मैं नख़्ल-ए-शमअ' जल गया गुल न बर्ग-ओ-बार आया देख शतरंज-ए-दहर की रफ़्तार कि पियादा गया सवार आया मर गए पर भी शौक़-ए-वस्ल रहा ख़्वाब में भी ख़याल-ए-यार आया शीशा-ए-साअ'त इक घड़ी में बना दिल में जिस दम ज़रा ग़ुबार आया यार जब ग़ैर के गले से मिला याद क्या सदमा-ए-फ़िशार आया पाक-तीनत वो था कि परवाना शम्अ' बन कर सर-ए-मज़ार आया शब को ऐ गुल जो ग़ैर से तू हँसा मुझ को रोना हज़ार बार आया बख़्श दे अब तो ऐ ख़ुदा-ए-करीम दिल-ए-मायूस उमीद-वार आया इक नज़र 'अर्श' सैर-ए-हस्ती कर कौन जा कर अदम से यार आया