तिरा बीमार ऐसा ना-तवाँ है कि तन में जान भी बार-ए-गराँ है ज़ि-बस है जोश-ए-दाग़-ओ-बहर-ए-गिर्या समुंदर और मछली तो अमाँ है गिरा देगा तुड़ा कर तौसन-ए-उम्र यही तार-ए-नफ़स की गर इनाँ है वर्क़ हैं रश्क-ए-औराक़-ए-गुलिस्ताँ मिरा दीवाँ ब-रंग-ए-बोस्ताँ है ख़रीदार आ के ले जाते हैं हसरत मिरी बाज़ार में तख़्ता दुकाँ है रक़म करता जो हूँ वस्फ़-ए-सर-ए-ज़ुल्फ़ ज़बान-ए-मार ख़ामा की ज़बाँ है न परवाने को इतना भी जला शम्अ' ये कोई दम का तेरा मेहमाँ है चराग़-ए-दाग़-ए-दिल गोया है ख़ामोश मिरे घर में ये आहों का धुआँ है उठूँ दुनिया से मैं दीवाना क्यूँकर नफ़स मानिंद-ए-ज़ंजीर-ए-गिराँ है सुना है नाम पर देखा नहीं 'अर्श' मिरे नज़दीक अन्क़ा क़द्र-दाँ है