शम्अ' की लौ से खेलते देखे हैं मैं ने परवाने दो इक तो मौत से खेल रहा है इक कहता है जाने दो मेरे बदन पर तुम बरसाओ प्यार की शबनम हुस्न की आग यूँ घुल-मिल कर एक नज़र से हम पढ़ लें अफ़्साने दो जिन पर जान लुटा दी मैं ने वो ही मुझ से बरहम हैं रोने पर पाबंदी है तो क़हक़हा एक लगाने दो तुम ने पिलाई जितनी पिलाई देखो हैं प्यासे रिंद अभी साक़ी-गरी से हाथ न खींचो सब की दुआ लो आने दो मय से मैं तौबा कर लूँगा ये लो मेरी तौबा है पहले मेरे हाथों में अपनी आँखों के मय-ख़ाने दो उस का काम है कहता रहना अपना काम है सुन लेना वाइ'ज़ भी अपना है 'कँवल' तुम वा'ज़ उसे फ़रमाने दो