कर्ब है कर्ब की आवाज़ बराबर है यही तेरी क़ीमत है यही तेरा मुक़द्दर है यही जी में है अब किसी दरवाज़े पे दस्तक दे दूँ और फिर पूछूँ कि ऐ शख़्स मिरा घर है यही कौन समझेगा अगर मैं ने कही भी रूदाद चुप ही हो जाऊँ मिरे वास्ते बेहतर है यही अब तो जो ज़र्रा भी दामन से लिपट जाता है मैं समझता हूँ मिरा मेहर-ए-मुनव्वर है यही चाँदनी-रात में ख़ुद अपने ही साए से मिलूँ मेरा मूनिस है यही अब मिरा रहबर है यही अब तो हर लहज़ा हर इक मोड़ पे होता है गुमाँ जिस के बारे में सुना हम ने वो महशर है यही शे'र कहने को तो हम ने भी कहे हैं 'नूरी' ये जो ख़ामोश सा बैठा है सुख़नवर है यही