कर्ब हरे मौसम का तब तक सहना पड़ता है पतझड़ में तो पात को आख़िर झड़ना पड़ता है कब तक औरों के साँचे में ढलते जाएँगे किसी जगह तो हम को आख़िर उड़ना पड़ता है सिर्फ़ अँधेरे ही से दिए की जंग नहीं होती तेज़ हवाओं से भी इस को लड़ना पड़ता है सही-सलामत आगे बढ़ते रहने की ख़ातिर कभी कभी तो ख़ुद भी पीछे हटना पड़ता है शेर कहें तो अक़्ल-ओ-जुनूँ की सरहद पर रुक कर लफ़्ज़ों में जज़्बों के नगों को जड़ना पड़ता है जीवन जीना इतना भी आसान नहीं 'आज़ाद' साँस साँस में रेज़ा रेज़ा कटना पड़ता है