करें न याद शब-ए-हादिसा हुआ सो हुआ भुला दें आओ हर इक वाक़िआ' हुआ सो हुआ बुरा हुआ कि लड़े जाँ-निसार आपस में बुरा है और भी ये तज़्किरा हुआ सो हुआ ग़ज़ब हुआ कि नए लोग आ बसे दिल में बिछड़ना उन से अलग सानेहा हुआ सो हुआ कहाँ कहाँ से न आफ़त की आँधियाँ आईं दयार-ए-क़ल्ब में जो ज़लज़ले हुआ सो हुआ बहुत से काँटे गिरे फूल बन के दामन में गुलों की ज़ात से जो फ़ाएदा हुआ सो हुआ पहन के दोस्त भी निकले लिबास-ए-तंज़ 'हसन' वो अपनी आन में बे-क़ाइदा हुआ सो हुआ