करेंगे ज़ुल्म दुनिया पर ये बुत और आसमाँ कब तक रहेगा पीर ये कब तक रहोगे तुम जवाँ कब तक ख़ुदावंदा इन्हें किस दिन शुऊर आएगा दुनिया का रहेंगी बे-पढ़ी-लिक्खी हमारी लड़कियाँ कब तक फिरेगा और कितने दिन ख़याली पार घोड़े पर उड़ेगा शेर-गोई में न इंजन का धुआँ कब तक इनान-ए-हुक्मरानी देखिए किस दिन ख़ुदा लेगा रहेंगे क़िस्मतों पर हुक्मराँ ये आसमाँ कब तक दिए जाएँगे कब तक शैख़-साहिब कुफ़्र के फ़तवे रहेंगी उन के संदूक़चा में दीं की कुंजियाँ कब तक चली जाएगी इक ही रुख़ हवा ताकि ज़माने की न पूरा होगा तेरा दौर ये ऐ आसमाँ कब तक तहम्मुल ख़त्म होते ही बड़ी बद-नामियाँ होंगी तुम्हारे ख़ौफ़ से 'परवीं' न खोलेगी ज़बाँ कब तक