करो दाग़-ए-दिल की सदा पासबानी मोहब्बत की है ये मुक़द्दस निशानी मिटा दे मुझे गर मैं हूँ नक़्श-ए-फ़ानी जो हूँ नक़्श-ए-अव्वल बना नक़्श-ए-सानी अगर बहर तू है तो हैं बूँद हम भी हमीं से है ऐ हक़ तिरी बे-करानी 'अयाँ कर गई इक नज़र राज़ कितने 'इबारत भरी थी तिरी बे-ज़बानी सितारों को नाहक़ न इल्ज़ाम दें आप है हालत मिरी आप की मेहरबानी न आया कोई लाश उठाने भी तेरी 'सदा' रंग लाई तिरी हक़-बयानी