करूँ किस से फ़रियाद क्या हो गया मिरा यार मुझ से जुदा हो गया करें क्या कि दिल हाथ से जा चुका जो होना मुक़द्दर में था हो गया मरा जो ग़म-ए-हिज्र में वो जिया कि ज़िंदान-ए-ग़म से रिहा हो गया मिरे सामने ग़ैर से इख़्तिलात मुरव्वत का बस ख़ात्मा हो गया कहूँ इश्क़-ए-परवाना क्या शम्अ' से वो रौशन रही ख़ुद फ़ना हो गया 'हक़ीर' आगे पीता था मय ख़ुम के ख़ुम मैं सुनता हूँ अब पारसा हो गया