करूँगा हस्ब-ए-ज़रूरत नहीं करूँगा मैं हवा के हाथ पे बै'अत नहीं करूँगा मैं मैं जुस्तुजू तो करूँगा कि दिल बहल जाए पर उस के वास्ते मेहनत नहीं करूँगा मैं तुम्हारे हिज्र से हिजरत ख़रीद सकता हूँ तुम्हारे शहर से हिजरत नहीं करूँगा मैं मिला नहीं तो दुआ भी नहीं रवा होगी बिछड़ गया तो शिकायत नहीं करूँगा मैं सिपाह-ए-हुर्मत-ए-यज़्दाँ ख़रीद सकता हूँ ख़रीद लूँगा तो इज़्ज़त नहीं करूँगा मैं