कठिन हालात में अपने इरादों को जवाँ रखना हमें आता है दिल में शो'ला-ए-ग़म को निहाँ रखना अकेले घर में कैसे वक़्त काटोगे तन-ए-तन्हा कोई तस्वीर लटका कर सर-ए-दीवार-ए-जाँ रखना हमारी फ़िक्र तुम छोड़ो हमें ये काम आता है अँधेरों में बसर करना नज़र में कहकशाँ रखना अजल और ज़िंदगी की दोस्ती इक हर्फ़-ए-बातिल है बहुत दुश्वार है पानी पे बुनियाद-ए-मकाँ रखना चमन पर एक दिन फ़स्ल-ए-ख़िज़ाँ का राज भी होगा अबस है दिल में अरमान-ए-बहार-ए-जावेदाँ रखना न जाने इस में पोशीदा हैं उस की हिकमतें क्या क्या हमेशा गर्दिशों में ये ज़मीन-ओ-आसमाँ रखना कहाँ आसान है अहल-ए-सुख़न की भीड़ में 'शाहिद' जुदा औरों से अपना तर्ज़-ए-गुफ़्तार-ओ-बयाँ रखना