कौन आया गेसुओं को परेशाँ किए हुए बर्बादी-ए-निगाह का सामाँ किए हुए फिर चाहता हूँ ख़ंजर-ए-क़ातिल से इर्तिबात दुशवारी-ए-हयात को आसाँ किए हुए फिर साहिल-ए-मुराद की है दिल को आरज़ू कश्ती को नज़्र-ए-शोरिश-ए-तूफ़ाँ किए हुए फिर हूँ तिरे तग़ाफ़ुल-ए-ज़ाहिर का शिकवा-संज जाँ को फ़िदा-ए-पुर्सिश-ए-पिन्हाँ किए हुए फिर हैं हरीम-ए-नाज़ से जल्वों की बारिशें हैरानी-ए-निगाह का सामाँ किए हुए 'मैकश' नहीं मुझे मय-ओ-मय-ख़ाना की तलाश बैठा हूँ चश्म-ए-यार से पैमाँ किए हुए