कौन बुतों से रिश्ता जोड़े नाम बड़े और दर्शन थोड़े उस पर ये भरपूर जवानी बाँहें भर ले और न छोड़े जोबन को ये अक़्ल कहाँ है चादर इतने पाँव सिकोड़े छलके सागर आँख नशीली नर्गिस में अंगूर निचोड़े हाल से मुस्तक़बिल बनता है फूट बहेंगे पक्के फोड़े पीठ न दे आज़ादा-रवी को सीने पर खा ज़ख़्म भगोड़े 'शाद' नए हालात में हूँ मैं मुझ को क्या मज़मून के तोड़े