कौन हम से सिवा समझता है किस से पूछें कि ज़िंदगी क्या है आज कुछ देर रो लिए हम भी आज कुछ दिल का बोझ हल्का है अब न आएगा वो ख़बर थी मगर रास्ता उस का फिर भी देखा है अब मरासिम में वो तपाक नहीं मिलना-जुलना ये चंद दिन का है और तो याद है उसे सब कुछ वो मगर ख़ुद को भूल बैठा है इश्क़ जब दिल का हम-सफ़र हो जाए रास्ता रुख़ बदलने लगता है बे-तमन्ना गुज़ार दें 'दानिश' अब हमारी यही तमन्ना है