शुरूअ' सिलसिला-ए-दीद करने वाला था तआरुफ़-ए-रुख़-ए-तौहीद करने वाला था ख़ुद उस की ज़ूद लिसानी ने उस को गुंग किया वो मेरे हाल पे तन्क़ीद करने वाला था मिज़ाज-ए-यार ने बख़्शी थी ऐसी यक-रंगी कहाँ मैं ग़ैर की तक़लीद करने वाला था तू मुंतहा को पहुँच कर भी सिफ़्र है अब तक तुझे मैं वाक़िफ़-ए-तम्हीद करने वाला था हमारी साल में दो बार जान जाती है वो शख़्स रोज़ ही इक ईद करने वाला था वो मेरे वा'ज़ से मस्जिद में जब सँभल न सका शराब-ख़ाने में ताकीद करने वाला था बचा के फ़िक्र को तल्ख़ाबा-ए-तवारुद से ग़ज़ल को ख़ूगर-ए-ता'क़ीद करने वाला था वो हम-पियाला भी था ख़्वाजा-ताश भी 'काविश' जो बात बात पे तरदीद करने वाला था