खा के तेग़-ए-निगह-ए-यार दिल-ए-ज़ार गिरा मरदुम-ए-दीद पुकारे कि वो सरदार गिरा वाए-रुस्वाई-ए-दिल आम हुई इश्क़ की बू शीशा-ए-मुश्क बग़ल से सर-ए-बाज़ार गिरा न उठा ख़ाक-ए-मुज़िल्लत से कभी मिस्ल-ए-सरिश्क जो नज़र से तिरे ऐ शोख़-ए-जफ़ा-कार गिरा क़दम अंदाज़े से बाहर न कभी रख ऐ दिल जो चला दौड़ के आख़िर दम-ए-रफ़्तार गिरा ना-तवानी ने बताया है नमाज़ी मुझ को मैं कई बार उठा और कई बार गिरा इश्वा ओ ग़म्ज़ा ओ अंदाज़ ओ अदा हैं क़ातिल किश्वर-ए-दिल पे मिरे लश्कर-ए-जर्रार गिरा