ख़बर धड़कनों से ये मैं ने सुनी है मिरे दिल ने तेरी मोहब्बत चुनी है ग़ज़ल जो मिरे लब पे है आज आई ये उल्फ़त के धागों से मैं ने बुनी है चढ़ा है मोहब्बत का रंग तेरी ऐसा कि जैसा चढ़ा कोई रंग फागुनी है भुलाने की तुझ को ज़रा की जो कोशिश तिरी याद आई मुझे सौ गुनी है तपस्या में रहता है ये लीन तेरी 'शिखर' का ये दिल कोई साधू मुनी है