ख़बर है कि आया गुलाबों का मौसम गुलों के बदन पर है काँटों का मौसम ख़ुदा जाने इस रुत में क्या गुल खिलाए गुलिस्ताँ का जोबन ये कलियों का मौसम लबों की शरारत नज़र से इशारत दम-ए-वस्ल कैसा हयाओं का मौसम ये दौर-ए-मोहब्बत भी कैसा अजब है हूँ आँखों में बातें इशारों का मौसम हवाए जुदाई ये कैसी चली फिर ग़मों की फ़ज़ा में अज़ाबों का मौसम जो प्यासे हैं 'बानो' तुम उन को सदा दो कि सहरा में उतरा है चश्मों का मौसम