खड़ा जूड़ा गुँधी बालों की चोटी दुपट्टा ज़ाफ़रानी ज़र्द कोटी शिकस्ता दिल के अंदर त्याग की धन फटी पतलून के नीचे लंगोटी रसीले लब वही बंसी के ऊपर सजीली छब वही काली-कलूटी बिछड़ मत यूँ कि दिल तुझ को भुला दे कसक रहने दे कुछ तो छोटी-मोटी नहीं ऐसे नहीं हट छोड़ मुझ को तिरी निय्यत तबीअ'त से भी खोटी मेरे अज्दाद भी हमलों में यकता मिरा बच्चा भी खेले ले के सोटी रुतें लौटीं न वो लौटा नगर में चुराने शहद मक्खन साग रोटी नसीब इस के गगन से भी कुशादा लकीरें हाथ की सब छोटी छोटी सखी चिम्नी पे चिड़ियों का वो जोड़ा करे इक दूसरे की तुक्का बोटी