खड़े हैं देर से अहबाब देखने के लिए मिरा सफ़ीना तह-ए-आब देखने के लिए खुली जो आँख तो हम डूबते नज़र आए गए थे दूर से गिर्दाब देखने के लिए अबस परेशाँ हैं ता'बीर की तग-ओ-दौ में मिली है नींद हमें ख़्वाब देखने के लिए तरस रही है मिरे दश्त की फ़ज़ा कब से किसी दरख़्त को शादाब देखने के लिए उड़ान भरने लगे हैं तुयूर-ओ-तय्यारे क़रीब-ओ-दूर से सैलाब देखने के लिए सुना है मैं ने हवाएँ भी बे-क़रार हैं अब मिरे दिए को ज़फ़र-याब देखने के लिए नज़र झुकाए खड़ी हैं अक़ीदतें 'आलम' शिकस्त-ए-गुंबद-ओ-मेहराब देखने के लिए