ख़ेमा-ए-ख़्वाब की तनाबें खोल क़ाफ़िला जा चुका है आँखें खोल ऐ ज़मीं मेरा ख़ैर-मक़्दम कर तेरा बेटा हूँ अपनी बाँहें खोल डूब जाएँ न फूल की नब्ज़ें ऐ ख़ुदा मौसमों की साँसें खोल फ़ाश कर भेद दो-जहानों के मुझ पे सर-बस्ता काएनातें खोल पड़ न जाए नगर में रस्म-ए-सुकूत क़ुफ़्ल-ए-लब तोड़ दे ज़बानें खोल