ख़िज़ाँ ब-रंग-ए-बहाराँ है देखिए क्या हो सुकूँ के भेस में तूफ़ाँ है देखिए क्या हो इलाही ख़ैर हो हालात ही दिगर-गूँ हैं कभी जो कुफ़्र था ईमाँ है देखिए क्या हो रवाँ-दवाँ थे जो लम्हात रुक गए यक-दम सुकूत-ए-शाम-ए-ग़रीबाँ है देखिए क्या हो कहाँ गए वो नशेब-ओ-फ़राज़ यास-ओ-उम्मीद सपाट सा दिल-ए-वीराँ है देखिए क्या हो जुनून-ए-हुस्न हद-ए-ला-शुऊ'र तक पहुँचा शुऊ'र सर-ब-गरेबाँ है देखिए क्या हो अभी तो उस का निशाँ तक मिला नहीं 'तालिब' तलाश-ए-अज़्मत-ए-इंसाँ है देखिए क्या हो