ख़ैर से होती रही राह-नुमाई क्या क्या वर्ना आ जाती बशर में कज-अदाई क्या क्या मो'तबर कैसे कहें तू ने उड़ाई क्या क्या ऐ नज़र तुझ को ये दुनिया नज़र आई क्या क्या बे-रुख़ी थी वले बरगश्तगी ऐसी तो न थी क्या ख़बर किस ने वहाँ जा के लगाई क्या क्या दिल ने तस्लीम किया कब कि यक़ीं आ जाता उस ने बन बन के मगर बात बनाई क्या क्या अक़्ल हुश्यार थी धीरे से दिया हाथ दबा क्या कहूँ वर्ना मिरे दिल में समाई क्या क्या कैसे एहसान किए जाएँ सख़ावत कैसे छोड़ कर नक़्श गए हातिम-ए-ताई क्या क्या मैं न हाबील न यूसुफ़ न मैं टीपू सुल्ताँ चाहते हैं मिरे हक़ में मिरे भाई क्या क्या वो तो बोहतान लगाने के लिए बैठे हैं दिल मियाँ भाई मिरा देगा सफ़ाई क्या क्या डाल कर आँखों में आँखें जो कहा पहचाना उस ने फिर मुझ से 'नक़ीब' आँख चुराई क्या क्या