ख़िरद यक़ीं के सुकूँ-ज़ार की तलाश में है ये धूप साया-ए-दीवार की तलाश में है ख़ता चमन की कि है मुब्तला-ए-लाला-ओ-गुल बहार सिर्फ़ ख़स-ओ-ख़ार की तलाश में है छलक रहा है क़बा-ए-हया से उस का शबाब शराब जुरअत-ए-मय-ख़्वार की तलाश में है वो नुक़्ता हूँ जो भरम है नुक़ूश-ए-हस्ती का ज़माना क्या मिरे असरार की तलाश में है वो औज हूँ जो ख़लल है निज़ाम-ए-पस्ती का वो जुर्म हूँ जो सर-ए-दार की तलाश में है ख़स आज़मा है 'मुहिब' शो'ला-ज़ार बातिल से नया ख़लील है गुलज़ार की तलाश में है