ख़ाल-ए-लब आफ़त-ए-जाँ था मुझे मालूम न था दाम दाने में निहाँ था मुझे मालूम न था ख़्वाहिश-ए-सूद थी सौदे में मोहब्बत के वले सर-ब-सर उस में ज़ियाँ था मुझे मालूम न था बातों बातों में मिरे सर को कटा देगा रक़ीब इस क़दर सैफ़-ज़ुबाँ था मुझे मालूम न था मैं तो आया था 'बक़ा' बाग़ में सुन जोश-ए-बहार पर ये हंगाम-ए-ख़िज़ाँ था मुझे मालूम न था