ख़मोश लहजे में मुझ से दलील करते हुए गुज़र गया है वो मुझ को ज़लील करते हुए उसे कहो कि ज़रा रहम से वो पेश आए लगाए तेग़ पे गर्दन प ढील करते हुए तुम्हें ख़बर ही नहीं सामने ही थी मंज़िल चला हूँ मैं ही ये रस्ता तवील करते हुए वो एक शख़्स मिरी प्यास देख कर अक्सर बरसने लगता था आँखों को झील करते हुए लड़ेगा ज़ेहन मुक़द्दमे में उस की जानिब से सहम रहा हूँ मैं दिल को वकील करते हुए