बस यही मसअला है दोनों का इश्क़ ये दूसरा है दोनों का इस लिए एहतियात हावी है एक सा तज्रबा है दोनों का वस्ल की लज़्ज़तें भी चाहते हैं दिल भी उक्ता रहा है दोनों का फिर इशारों में बात कैसे हो एक ही ज़ाविया है दोनों का लड़ते रहते हैं ज़ेहन-ओ-दिल हर वक़्त जाने क्या मसअला है दोनों का दोनों किरदार एक से हैं मगर मुनफ़रिद वाक़िआ' है दोनों का हम तो दोनों ही पीर-ज़ादे हैं एक ही सिलसिला है दोनों का