ख़ामुशी से सवाल मेरा था मुझ से पहले ज़वाल मेरा था वक़्त का ध्यान आया था उस को मौसमों का ख़याल मेरा था मा'नी-दर-मा'नी उस की थी पर्वाज़ लफ़्ज़-दर-लफ़्ज़ जाल मेरा था घर के बाहर थी कार दफ़्तर की घर के अंदर का हाल मेरा था ऐ 'तसव्वुर' न याद आया कभी शे'र जो हस्ब-ए-हाल मेरा था