ख़ून में डूबी रिदाएँ नहीं देखी जातीं बैन करती हुई माएँ नहीं देखी जातीं ख़त्म होते हुए आँसू हों कि थमता हुआ दर्द हम से अब और सज़ाएँ नहीं देखी जातीं जाने वालों का भला कैसे तुम्हें दें पुर्सा ख़ाली हाथों की दुआएँ नहीं देखी जातीं मरने वालों की सदाएँ तो मैं सुन सकती हूँ जीने वालों की कराहें नहीं देखी जातीं फूल तोड़े हैं बुझाए हैं मिरे घर के चराग़ दुश्मना तेरी ख़ताएँ नहीं देखी जातीं अब तो आँखों में धुआँ भरने लगा है 'फ़रहत' ऐसी रंजूर फ़ज़ाएँ नहीं देखी जातीं