खुलती हुई मुट्ठी में आँसू है कि तारा है By Ghazal << ख़ून में डूबी रिदाएँ नहीं... खिड़की खोल के देखो मौसम अ... >> खुलती हुई मुट्ठी में आँसू है कि तारा है इक ख़्वाब तुम्हारा है इक ख़्वाब हमारा है लम्हों की कलाई में बस याद खनकती है बह जाते हैं सब इस में ये वक़्त का धारा है क्या दश्त-ए-रिफ़ाक़त में एहसास की सूरत है कैसे उसे बतलाएँ क्या हाल हमारा है Share on: