ख़ून-ए-दिल से रह-ए-हस्ती को फ़रोज़ाँ कर लें मो'तबर और भी हम जश्न-ए-गुलिस्ताँ कर लें दौर पर दौर चले जाम को रक़्साँ कर लें दोस्तों आओ इलाज-ए-ग़म-ए-दौराँ कर लें इक नए रंग से तज़ईन-ए-गुलिस्ताँ कर लें लाख हो दौर-ए-ख़िज़ाँ जश्न-ए-बहाराँ कर लें फिर न छट जाएँ कहीं रंज-ओ-मेहन के बादल अपनी ज़ुल्फ़ों को ज़रा आप परेशाँ कर लें शम्अ' फिर हसरत-ओ-अरमान की रौशन कर के चंद लम्हों को सही जश्न-ए-चराग़ाँ कर लें जुस्तुजू और नई बहर-ए-हुसूल-ए-मंज़िल अपनी रफ़्तार सू-ए-ख़ार-ए-मुग़ीलाँ कर लें ग़म-ए-दौराँ को ऐ 'जाँबाज़' भुलाने के लिए आओ मयख़ाने में तफ़रीह का सामाँ कर लें