ख़रीदने का नए फूल कुछ इरादा नईं किसे मिलें कि हमारा किसी से वा'दा नईं मोहब्बतों में बहुत ख़ाक छान ली हम ने करें अब ऐसी किसी मश्क़ का इआदा नईं बस एक शाम गुज़ारें हमारे साथ कभी क़रीब आने की ख़्वाहिश है पर ज़ियादा नईं फ़रेब खाया है तेरी झुकी निगाहों से दिखाई देता है जितना तू उतना सादा नईं तिरे लिए तो मवाक़े' बहुत ज़ियादा हैं तू मसअलों में घिरा कोई शाहज़ादा नईं सफ़ेद-पोश हूँ थोड़ा भरम तो रखना है जिगर तो चाक है 'फ़ैसल' मगर लबादा नईं