ख़ुद अपने आप से रूठा हुआ हूँ समझते हैं वो मैं उन से ख़फ़ा हूँ हक़ाएक़ से चुरा कर आँख अपनी मैं किन सायों के पीछे भागता हूँ कोई तो रास्ता होगा बताना तिरे दिल तक पहुँचना चाहता हूँ ब-ज़ाहिर है हँसी होंटों पे मेरे मगर अंदर से मैं टूटा हुआ हूँ जहाँ ख़ुद को मुक़फ़्फ़ल कर रखा था मैं उस कमरे की चाबी खो चुका हूँ ये किस ने मुझ को बस में कर लिया है इशारों पर मैं किस के चल रहा हूँ अगरचे हाल है तारीक मेरा सितारा आने वाले वक़्त का हूँ तपा हूँ आतिश-ए-दौराँ में 'नायाब' तो अब जा कर कहीं कुंदन बना हूँ