ख़ुद को पाने की जुस्तुजू है वही उस से मिलने की आरज़ू है वही उस का चेहरा उसी के ख़द्द-ओ-ख़ाल अपना मौज़ू-ए-गुफ़्तुगू है वही हैं उसी के ये रंग-हा-ए-सुख़न मेरे पहलू में ख़ूब-रू है वही कितने मौसम बदल गए लेकिन दिल वही दिल की आरज़ू है वही है वही शौक़-ए-चाक-दामानी और फिर ख़्वाहिश-ए-रफ़ू है वही सज्दा-बाज़ान-ए-शहर पाइंदा दस्त-ए-आज़र की आबरू है वही ख़ू-ए-तस्लीम सर सलामत-बाद बंदगी तौक़-ए-दर-गुलू है वही कम नहीं शोर-ए-नाला-ओ-फ़रियाद मातम-ए-शहर आरज़ू है वही