ख़ुद में झाँका तो अजब मंज़र नज़र आया मुझे अपने अंदर भी अजाइब घर नज़र आया मुझे मुझ से उस का हम-सफ़र बनना भी कब देखा गया वो भी अपनी राह का पत्थर नज़र आया मुझे हादसों ने उस के पाँव से भी धरती खींच ली वो भी सैल-ए-वक़्त की ज़द पर नज़र आया मुझे मेहरबाँ कोई शरीक-ए-क़ैद-ए-तन्हाई न था अपने ज़ानू पर ही अपना सर नज़र आया मुझे दिल से थी उम्मीद ख़्वाहिश के सफ़र पर साथ दे पर ये शाहीं भी शिकस्ता-पर नज़र आया मुझे एक इक लम्हे ने सौ सौ शो'बदे दिखलाए हैं सच तो ये है वक़्त जादूगर नज़र आया मुझे इतनी हिम्मत भी न थी बढ़ कर बुला लेता 'रियाज़' यूँ तो वो बाज़ार में अक्सर नज़र आया मुझे