न बादबान न कश्ती से प्यार करना है हमें तो डूब के दरिया को पार करना है हमारा काम तुम्हें राहतें बहम करना तुम्हारा शग़्ल हमें बे-क़रार करना है तुम्हारे दिल से जो निकली है ए'तिमाद की बात ये बात है तो हमें ए'तिबार करना है बहुत कठिन हैं जुदाई के मरहले सारे दिल-ए-हज़ीं को मगर इंतिज़ार करना है तख़य्युलात को रखना है 'शाहिदा' क़ाएम बस एक ख़्वाब की बस्ती से प्यार करना है