ख़ुद मुझ को मेरे दस्त-ए-कमाँ-गीर से मिला जो ज़ख़्म भी मिला है उसी तीर से मिला तुझ को ख़बर भी है मिरे इंकार का जवाब तेग़-ओ-सिनान-ओ-ख़ंजर-ओ-शमशीर से मिला गुम हो गया था मैं उसी दश्त-ए-वजूद में मैं अपने इस्म-ए-ज़ात की तस्ख़ीर से मिला ऐ रम्ज़-ए-आगही मैं तुझे ख़ुद पे वा करूँ वहशत को मेरे पावँ की ज़ंजीर से मिला मिलने की कुछ ख़ुशी न बिछड़ने का ख़ौफ़ है ऐ मेरी जान तू बड़ी ताख़ीर से मिला दरिया तमाम तिश्ना-लबों की है मिल्किय्यत इस मुम्लिकत को प्यास की जागीर से मिला जो ख़्वाब मेरी चश्म-ए-ज़रूरत ने खो दिया वो ख़्वाब मेरे ख़्वाब की ताबीर से मिला 'शाहिद' मिरे मिज़ाज की आशुफ़्तगी न देख मेरी उदासियों का नसब 'मीर' से मिला