ख़ुश जो आए थे पशेमान गए ऐ तग़ाफ़ुल तुझे पहचान गए ख़ूब है साहब-ए-महफ़िल की अदा कोई बोला तो बुरा मान गए कोई धड़कन है न आँसू न ख़याल वक़्त के साथ ये तूफ़ान गए तेरी एक एक अदा पहचानी अपनी एक एक ख़ता मान गए उस को समझे कि न समझे लेकिन गर्दिश-ए-दहर तुझे जान गए